मूंगफली की खेती क्यों है फायदेमंद?
देश के कई राज्यों में किसान अब पारंपरिक खेती के बजाय नकदी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं। मौजूदा समय में मूंगफली की खेती को एक लाभकारी विकल्प माना जा रहा है। विशेषज्ञों की राय है कि किसानों को उन फसलों पर ध्यान देना चाहिए, जिनसे बाजार में मांग बनी रहती है और जो उनकी आमदनी बढ़ाने में मददगार हों। मूंगफली ऐसी ही एक फसल है, जिससे बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है।
खेत और जलवायु का चुनाव है जरूरी
मूंगफली मुख्य रूप से तिलहन फसल है और इसकी पैदावार देश के लगभग सभी हिस्सों में की जाती है। हालांकि, अच्छी उपज के लिए जरूरी है कि इलाके की जलवायु मूंगफली के अनुकूल हो। मूंगफली के पौधों की बढ़त के लिए तेज धूप और गर्म मौसम सबसे बेहतर माने जाते हैं। कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए, जिससे फसल की ग्रोथ अच्छी हो सके।
मूंगफली की खेती खरीफ सीजन में ज्यादा लाभकारी मानी जाती है। जून के दूसरे पखवाड़े से लेकर जुलाई के मध्य तक इसकी बुवाई करना उपयुक्त होता है।
खेत की तैयारी और उन्नत किस्मों का चुनाव
बेहतर उत्पादन के लिए खेत की तीन से चार बार जुताई जरूरी है। मिट्टी पलटने वाले हल का इस्तेमाल कर खेत तैयार करें। इसके बाद पाटा लगाएं, जिससे खेत में नमी बनी रहे। बुवाई से पहले 2.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जिप्सम का उपयोग फसल की क्वालिटी और उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है।
मूंगफली की उन्नत किस्में जैसे आर.जी. 425, एमए 10, टीजी 37ए, जी 201, एके 12-24, जी जी 20, सी 501, जी जी 7 आदि किसानों के बीच लोकप्रिय हैं। ये किस्में ज्यादा उपज देने के लिए जानी जाती हैं।
बीज और बुवाई के तरीके
मूंगफली की बुवाई आमतौर पर 15 जून से 15 जुलाई के बीच करनी चाहिए। बीज बोने से पहले फफूंदनाशक दवाओं से उनका उपचार करना जरूरी है। प्रति किलो बीज पर 3 ग्राम थायरम या 2 ग्राम मैकोजेब का इस्तेमाल करें। इससे बीज से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है और अंकुरण भी बेहतर होता है।
अधुनिक तरीके अपनाएं
मूंगफली की खेती में आधुनिक कृषि विधियों को अपनाकर किसान अपनी आय में तेजी से बढ़ोतरी कर सकते हैं। सही किस्मों का चुनाव, समय पर बुवाई, खेत की समुचित तैयारी, और बीज उपचार जैसी प्रक्रियाओं पर ध्यान देकर, किसान दो साल में ही अच्छी कमाई कर सकते हैं।