एलन मस्क की महत्वाकांक्षी एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स ने अपने अब तक के सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली रॉकेट ‘स्टारशिप’ के दसवें परीक्षण लॉन्च में एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। यह पहली बार है जब स्टारशिप ने पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाकर सफलतापूर्वक वापसी की है। इस मिशन के दौरान नकली सैटेलाइट्स को तैनात करने का परीक्षण भी पूरी तरह सफल रहा, जिसने भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई संभावनाएं खोल दी हैं।
उड़ान का सफल सफ़र
स्टारशिप को टेक्सास के बोका चीका स्थित स्पेसएक्स के निजी लॉन्चपैड ‘स्टारबेस’ से 26 तारीख को स्थानीय समयानुसार शाम 6:30 बजे (भारतीय समयानुसार 27 तारीख की सुबह) लॉन्च किया गया। यह विशाल रॉकेट, जिसकी ऊंचाई लगभग 40 मंजिला इमारत के बराबर (123 मीटर) है, दो हिस्सों में बंटा है: पहला चरण ‘सुपर हेवी’ बूस्टर (71 मीटर) और दूसरा चरण ‘स्टारशिप’ अंतरिक्ष यान (52 मीटर)।
यह लॉन्च अब तक का सबसे सफल परीक्षण था, जिसमें लगभग सभी चरण योजना के अनुसार पूरे हुए। लॉन्च के 7 मिनट बाद, सुपर हेवी बूस्टर ने मैक्सिको की खाड़ी में सफलतापूर्वक सॉफ्ट-लैंडिंग की। वहीं, स्टारशिप अंतरिक्ष यान 190 किलोमीटर की अधिकतम ऊंचाई और 26,000 किलोमीटर प्रति घंटे की अविश्वसनीय रफ़्तार पर पहुँचते हुए, पृथ्वी का लगभग एक चक्कर पूरा किया। लॉन्च के करीब 1 घंटे 6 मिनट बाद इसने हिंद महासागर में सफलतापूर्वक लैंडिंग की।
पिछली असफलताओं से मिली सीख
यह सफलता स्पेसएक्स के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल के पिछले तीन परीक्षण असफल रहे थे। जनवरी और मार्च में हुए 7वें और 8वें लॉन्च उड़ान के दौरान ही विस्फोट के साथ समाप्त हो गए थे, जबकि मई में 9वें परीक्षण में रॉकेट कक्षा में तो पहुंचा, लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करते समय नष्ट हो गया। जांच में इन असफलताओं के कारण क्रमशः ईंधन रिसाव, इंजन की खराबी और लैंडिंग के दौरान इंजन का दोबारा न जलना पाए गए थे। इस बार की सफलता दिखाती है कि कंपनी ने अपनी पिछली गलतियों से सीखकर सिस्टम में बड़े सुधार किए हैं।
एक और बड़ी कामयाबी: सैटेलाइट परिनियोजन
इस ऐतिहासिक उड़ान के दौरान, स्टारशिप ने एक और महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल किया। इसने अपने कार्गो बे में रखे 8 नकली सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक सब-ऑर्बिटल कक्षा में तैनात किया। ये सैटेलाइट्स स्पेसएक्स के स्टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट्स के आकार के थे। लॉन्च के लगभग 19 मिनट बाद, स्टारशिप ने एक-एक करके इन सभी 8 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में छोड़ा। इस सफल परीक्षण ने यह साबित कर दिया है कि स्टारशिप भविष्य में स्पेसएक्स के भरोसेमंद ‘फाल्कन 9’ रॉकेट की जगह ले सकता है और बड़े पैमाने पर सैटेलाइट लॉन्च मिशनों को अंजाम दे सकता है।
भविष्य की राह: चाँद और मंगल पर नज़र
स्टारशिप का सफल परीक्षण केवल एक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह स्पेसएक्स और पूरी मानवता के भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण की नींव है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने अपने आर्टेमिस-3 मिशन के लिए स्टारशिप को चुना है, जो 2027 में इंसानों को एक बार फिर चाँद पर उतारेगा।
लेकिन एलन मस्क का अंतिम लक्ष्य इससे भी बड़ा है: मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती बसाना। मस्क ने पहले कहा था कि स्टारशिप 2026 तक मंगल पर अपनी पहली मानवरहित उड़ान भर सकता है और 2028 तक इंसानों को भी लाल ग्रह पर ले जा सकता है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि इस लक्ष्य के सफल होने की संभावना अभी “50-50” है। इस सफल उड़ान के बाद, यह सपना अब हकीकत के और भी करीब लग रहा है।