शनिवार को फ्रेंच ओपन 2025 में एक नई महिला चैंपियन का ताज पहनाया जाएगा। दुनिया की नंबर 1 खिलाड़ी आर्यना साबालेंका और नंबर 2 कोको गौफ के बीच यह बहुप्रतीक्षित मुकाबला होने जा रहा है। दोनों ही दिग्गज खिलाड़ी रोलां गैरो में अब तक खिताब नहीं जीत पाई हैं। साबालेंका के नाम तीन ग्रैंड स्लैम खिताब हैं, जबकि गौफ ने एक बार बड़ी जीत हासिल की है।

गौफ को जीत के लिए क्या करना होगा?

टेनिस विशेषज्ञ रैनी स्टब्स के मुताबिक, गौफ को पहले सर्व में कम से कम 60% सफलता हासिल करनी होगी। यदि वह ऐसा करने में सफल रहती हैं, तो स्कोरबोर्ड का दबाव साबालेंका पर बना रह सकता है। गौफ की कोर्ट पर स्पीड उन्हें अधिक बॉल रिटर्न करने का मौका देती है, जिससे वे साबालेंका को गलतियां करने पर मजबूर कर सकती हैं। हालांकि, सर्व में दोहरी गलतियों से बचना उनके लिए बेहद ज़रूरी होगा।

साइमन कैम्बर्स का मानना है कि गौफ के पास वो खेल है जिससे वे साबालेंका को परेशानी में डाल सकती हैं। मानसिक तौर पर यह सबसे अहम बात होगी। दोनों की बैकहैंड से टकराहट निर्णायक साबित हो सकती है। अगर गौफ रैलियों को अपनी शर्तों पर चला पाती हैं, तो उन्हें बेजलाइन पर बढ़त मिल सकती है। हालांकि, उन्हें पहले सर्व में ऊंची सटीकता दिखानी होगी, क्योंकि साबालेंका दूसरी सर्व को आसानी से हमला करने का मौका नहीं छोड़तीं।

गौफ की जुझारूपन भी बड़ी भूमिका निभाएगी। टूर्नामेंट के दौरान उन्होंने कई मुश्किल परिस्थितियों से उबरकर मानसिक मजबूती दिखाई है। साबालेंका का आक्रामक खेल उन्हें बार-बार दबाव में ला सकता है, इसलिए गौफ को हर पल सतर्क रहना होगा।

द’आर्सी मेन का विश्लेषण

द’आर्सी मेन के अनुसार, गौफ ने सेमीफाइनल में 15,000 दर्शकों के सामने अपने करियर का सबसे संतुलित और दमदार मुकाबला खेला। उन्होंने दिखाया कि बड़े मौकों पर भी वे कितनी मानसिक रूप से मजबूत और शांत रह सकती हैं। फ्रेंच खिलाड़ी लॉइस बोइसन पर उनकी निर्णायक जीत ने उनके आत्मविश्वास को और बढ़ाया है।

इसके अलावा, गौफ पहले भी साबालेंका को एक मेजर फाइनल में हरा चुकी हैं और रोलां गैरो में भी फाइनल खेलने का अनुभव उनके पक्ष में जा सकता है। यदि वह अपने आत्मविश्वास, अनुभव और मैच्योरिटी को सही समय पर मैदान में उतारती हैं, साथ ही सर्व और डिफेंस में मजबूती दिखाती हैं, तो दूसरा ग्रैंड स्लैम खिताब दूर नहीं होगा।

बिल कोनेली का दृष्टिकोण

बिल कोनेली ने बताया कि यह प्रतिद्वंद्विता काफी अनोखी रही है — दोनों खिलाड़ी कभी भी एक-दूसरे पर स्थायी बढ़त नहीं बना पाई हैं। एक मैच में गौफ की सर्व शानदार रहती है, तो अगले में अस्थिरता दिखती है। कभी साबालेंका पूरी तरह हावी हो जाती हैं, तो कभी उनकी दूसरी सर्व ही उनकी कमजोरी बन जाती है।

कोनेली के मुताबिक, यह बात जितनी साधारण लगती है, उतनी अहम भी है: अगर गौफ अपनी पहली सर्व सही से हिट करें, तो उनकी जीत की संभावना काफी बढ़ जाती है। जब उनकी पहली सर्व 55% से ऊपर रहती है, तो वे साबालेंका के खिलाफ 5-2 के रिकॉर्ड के साथ आगे रहती हैं; लेकिन जब यह आंकड़ा गिरता है, तो वे 0-3 से पिछड़ जाती हैं।

टॉम हैमिल्टन की राय

टॉम हैमिल्टन का कहना है कि गौफ को मैच के बीच में सर्व या सटीकता में कोई गिरावट नहीं आने देनी चाहिए। उन्हें पूरे मैच में फोकस बनाए रखना होगा। जैसा कि साबालेंका ने स्विएतेक के खिलाफ दिखाया, वे मैच के आखिरी चरण में अचानक स्तर बढ़ा सकती हैं। ऐसे में गौफ को दो सेट में ही मैच खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए।

हैमिल्टन मानते हैं कि गौफ अब दर्शकों के दबाव को झेलना सीख चुकी हैं। हालांकि शनिवार को स्टेडियम का समर्थन दोनों खिलाड़ियों को मिल सकता है। गौफ रोलां गैरो में पहले भी फाइनल खेल चुकी हैं और पिछली हार का अनुभव इस बार उन्हें और प्रेरित करेगा। उन्हें साबालेंका को शुरू से ही मैच में पैर जमाने नहीं देना होगा।